तस्वीर जो न काविश-ए-इदराक से बनी वो आज अपने दीदा-ए-नमनाक से बनी दुनिया हमारे वास्ते इक राहतों का घर सच पूछिए तो जुरअत-ए-बे-बाक से बनी अज्ज़ा-ए-काएनात जुदा कर के देखिए हर शय जहान-ए-फ़िक्र में है ख़ाक से बनी बे-पर्दगी जहाँ भी हुई हुस्न-ए-यार की चिलमन जुनूँ के दामन-ए-सद-चाक से बनी ज़र्रात के वजूद से साबित हुआ 'सहर' ये काएनात गर्दिश-ए-अफ़्लाक से बनी