तिरे फ़रेब में दुनिया मैं आने वाला नहीं सो ध्यान तेरी तरफ़ मेरा जाने वाला नहीं मैं मुंतज़िर हूँ किसी शोख़-रंग लम्हे का मुझे पता है कि लम्हा वो आने वाला नहीं मुझे फ़रिश्तों की सोहबत में बस यही ग़म है कि इन में कोई मिरा दिल दुखाने वाला नहीं किया है दफ़्न उसे दिल की क़ब्र में मैं ने वो नाम अब मिरे होंटों पे आने वाला नहीं हवा ज़माने की तुम को न रास आएगी तुम्हारा रंग मिरी जाँ ज़माने वाला नहीं अजीब लोगों की बस्ती है ये 'वसीम' यहाँ किसी का बोझ कोई भी उठाने वाला नहीं