तेरे क्या अपने भी कुछ काम न आए हम लोग कुछ न कुछ तू ने बनाना था बनाए हम लोग कोहसारों पे क़दम रख के ये फल तोड़ा है इज्ज़ मिट्टी से उठा कर नहीं लाए हम लोग फिर पलट आएँगे तस्बीह के दानों की तरह दस्त-ए-दुनिया तिरी पोरों से गिराए हम लोग खींच कर लाए हैं दर से तिरे मुजरिम की तरह दिल को बातों में लगा कर नहीं लाए हम लोग बाइ'स-ए-शर्म है ऐ दोस्त नुमूद-ए-गिर्या पोंछ कर अश्क तिरे ख़्वाब में आए हम लोग