तेरे लहजे तिरी बातों में कोई और भी था यूँ तिरे चाहने वालों में कोई और भी था मैं तो शर्मिंदा हूँ उस रोज़ से बिस्तर से तिरे जब से जाना तिरे ख़्वाबों में कोई और भी था यूँ मुझे टूट के मत चाहो कि मैं जानता हूँ मुझ से पहले तिरी बाँहों में कोई और भी था अजनबी शहर की सड़कों पे मरा हूँ बे-शक जान-लेवा मिरी राहों में कोई और भी था गो कि महफ़िल में उन्हें हम से है मतलब लेकिन उन की बे-ताब निगाहों में कोई और भी था वो जो रोए थे गले लग के हमारे 'फ़ैसल' उन के बहते हुए अश्कों में कोई और भी था