तेरी दिल-नवाज़ बातें तिरी दिल-नशीं अदाएँ तिरी आरज़ू में कैसे न जहाँ को भूल जाएँ कोई गीत गुनगुनाएँ कि ग़ज़ल कोई सुनाएँ तिरे गेसुओं के साए में ये सोच भी न पाएँ ये न जाने आज किस ने दर-ए-दिल पे दी है दस्तक ये जो उठ रहा है तूफ़ाँ इसे किस तरह दबाएँ ये नवाज़िश-ए-जुनूँ है कि फ़ुसूँ तिरी नज़र का ये मुतालबा है दिल का अभी और फ़रेब खाएँ तिरी अंजुमन में अब भी हैं 'शमीम' अजनबी से किसे राज़-दाँ बनाएँ किसे ज़ख़्म-ए-दिल दिखाएँ