तिरी जब से नज़र बदली हुई है मिरी शाम-ओ-सहर बदली हुई है है मंज़िल एक शैख़-ओ-बरहमन की मगर कुछ रहगुज़र बदली हुई है ख़ुदा जाने हमारा हाल क्या है निगाह-ए-चारागर बदली हुई है तुम्हारे वास्ते छोड़ा ज़माना तुम्हारी भी नज़र बदली हुई है हमारा क्या बिगाड़ेगी ये दुनिया हमारी रहगुज़र बदली हुई है मिला जब से तिरी ज़ुल्फ़ों का साया जुनूँ की दोपहर बदली हुई है मोहब्बत का सफ़र कैसे कटेगा निगाह-ए-राहबर बदली हुई है फ़िराक़-ए-दोस्त का एहसास तौबा सहर तो है मगर बदली हुई है डरें कब तक ज़माने की नज़र से बदलने दो अगर बदली हुई है न पूछो वक़्त की बे-ए'तिबारी तमन्ना-ए-सफ़र बदली हुई है सँभल कर चल ये है राह-ए-मोहब्बत यहाँ हर इक डगर बदली हुई है सुना था आने वाले हैं वो लेकिन कई दिन से ख़बर बदली हुई है मोहब्बत का सफ़र कैसे कटेगा निगाह-ए-हम-सफ़र बदली हुई है हवा-ए-वक़्त के हमले तो देखो हर इक शाख़-ए-शजर बदली हुई है दुआएँ माँगिये रब से कि 'शाकिर' हवा-ए-बहर-ओ-बर बदली हुई है