तेरी निगाह-ए-नाज़ बड़ी कारगर गई मेरे मज़ाक़-ए-दीद को बे-कार कर गई होगा ज़रूर पास-ए-वफ़ा उन को एक दिन बस इस ख़याल में ही जवानी गुज़र गई अपने शिकस्ता-हाल का मुमकिन न था इलाज तुम ने नज़र मिलाई तो दुनिया सँवर गई यूँ कट गई ख़याल में उन के शब-ए-फ़िराक़ ये भी ख़बर बनें किधर आई किधर गई देखे तो कोई जज़्ब-ए-मोहब्बत का ये असर हिर-फिर के मेरे दिल पे ही उन की नज़र गई मामूर है निगाह में अब सारी काएनात तनवीर किस के हुस्न की हर सू निखर गई दो-गाम भी चले नहीं तुम राह-ए-इश्क़ में सख़्ती-ए-राह तुम को तो बेज़ार कर गई 'अंजुम' किसी की चश्म-ए-करम का ये फ़ैज़ है तूफ़ान में भी घिर के जो कश्ती उभर गई