तेरी उल्फ़त की नज़र मुझ पे जो पैहम होगी रूह पर ख़ुशियों की बरसात छमा-छम होगी दिल में जो बात है इक-दूजे से खुल कर कह दें कब तलक बात हमारी भला मुबहम होगी क़ुर्बतें हम से बढ़ाने का तकल्लुफ़ न करें आप बदलेंगे तो तकलीफ़ न फिर कम होगी दिल के सहरा में भी आ जाएगी चुपके से बहार साँस जब उन की मिरी साँस में मुदग़म होगी प्यार के बीज इसी आस पे बोए हम ने आज है ख़ुश्क मगर कल ये ज़मीं नम होगी आप के आने से दुनिया मिरी होगी रौशन चाँद तारों की चमक आप ही मद्धम होगी एक दिन आएगा फ़रहत-भरा मौसम 'अज़्का' फिर मिरी आँखों से बरसात भी कम-कम होगी