तेज़ कटारी लाई भोर टूट गई सपनों की डोर जब हो मन के अंदर चोर कौन मचाए बाहर शोर टूट के कितने पेड़ गिरे देख हवा का अंधा ज़ोर बादल झूम के बरसा है नाच रहा है मन का मोर एक कहानी दो उन्वान ठिठुरे हाथ सुलगती पोर प्यासी धरती क्या रोई घिर आए बादल घनघोर मेरा दिल है एक पतंग 'राज' न खींचो कच्ची डोर