था आसमान पर जो सितारा नहीं रहा यादश-ब-ख़ैर अब वो हमारा नहीं रहा जो दिन गुज़र गए वो गुज़र ही गए सो अब यादों के मा-सिवा कोई चारा नहीं रहा सैल-ए-रवाँ में गुम है निशान-ए-मुहीत-ए-आब ऐ मौज-ए-मुज़्तरिब वो किनारा नहीं रहा तन्हा थे जब तो आँख के आँसू भी दिल में थे वो आ गया तो ज़ब्त का यारा नहीं रहा