था परिंदा किसी उड़ान में गुम हो गया फिर वो आसमान में गुम कौन उस को तलाश करता है जो मकीं हो गया मकान में गुम इस से पहले कि कुछ कहूँ उस से हो गया लफ़्ज़ ही ज़बान में गुम लापता हूँ मगर ज़मानों से हूँ तिरी खोज के निशान में गुम क्या करूँ मैं तिरा यक़ीं कि अभी मैं तो ख़ुद हूँ किसी गुमान में गुम