ठहरे जज़्बात के दरिया को रवानी दे कर हम ने किरदार बचाया है कहानी दे कर हद से बढ़ जाए तो हर चीज़ बुरी होती है मैं ने इक फ़स्ल जला डाली है पानी दे कर इस नए लहजे से दिल डूबने लगता है मिरा तुम पुकारो मुझे आवाज़ पुरानी दे कर अब मुझे प्यास निभाने का हुनर आता है ख़ाक सहरा में उड़ाई है जवानी दे कर मेरा रब करता है एहसान मुसलसल 'वाहिद' शेर-दर-शेर मुझे मिस्रा-ए-सानी दे कर