ठीक है आप बे-ख़ता ही सही मेरी क़ातिल मिरी वफ़ा ही सही हम भी कुछ ऐसे बे-मक़ाम नहीं तू ख़ुदा है अगर ख़ुदा ही सही क़त्ल होना मिरी विरासत है क़त्ल करना तिरी अदा ही सही जा मिले सब सफ़-ए-मुख़ालिफ़ में ज़द पे तन्हा मिरी अना ही सही चाँद सूरज नहीं हूँ माँगे का मैं कि मिट्टी का इक दिया ही सही डसता रहता है शब का सन्नाटा जान भूले से इक सदा ही सही दोस्ती की भी कोई शर्त है क्या दोस्त है वो तो बेवफ़ा ही सही सारी मख़्लूक़ है ख़ुदा वाली हम सा इक शख़्स बे-ख़ुदा ही सही