तिरे आने का चर्चा हो रहा है न-जाने कब से ऐसा हो रहा है सिमट जाउँगा मैं लम्हों में इक दिन मिरा हर ख़्वाब पूरा हो रहा है समुंदर में गिरा है चाँद ऐसे कि साहिल तक उजाला हो रहा है किसी ख़ामोश दरवाज़े के पीछे मुझे मालूम है क्या हो रहा है नए पर्दों में सब चेहरे पुराने बदलने का तमाशा हो रहा है क़यामत क्या करेगी इस ज़मीं पर क़यामत से ज़ियादा हो रहा है समुंदर से हमारी दोस्ती है सो पानी पर गुज़ारा हो रहा है