तिरे बग़ैर नहीं देख झाँक कर कोई ये दिल वो दिल था कि जिस का नहीं था दर कोई बता दे वहशतों की फ़ौज को चली जाए बता दे जा के नहीं यूँ भी आज घर कोई मैं जा रहा हूँ फ़सीलो दरख़्तो तस्वीरो सो तुम में तो नहीं है मेरा हम-सफ़र कोई उसे कहो कि किसी को तिरी ज़रूरत है कहो कि जागता रहता है रात-भर कोई ये दश्त दश्त नहीं लग रहा मुझे 'ए'ज़ाज़' कि मैं ने छोड़ी नहीं उस की रहगुज़र कोई