तिरे ग़म में है ग़म तेरी ख़ुशी में है ख़ुशी अपनी By Ghazal << ग़म-ए-कौन-ओ-मकाँ से फ़िक्... जमी हूँ बर्फ़ की सूरत पिघ... >> तिरे ग़म में है ग़म तेरी ख़ुशी में है ख़ुशी अपनी वगर्ना बद-मज़ा बे-कैफ़ सी है ज़िंदगी अपनी मैं रोऊँगा रुलाउँगा हँसूँगा और हँसाऊँगा तबीअत अपनी दिल अपना पसंद अपनी ख़ुशी अपनी अदम की सरहदों से भी बहुत आगे निकल आए न जाने अब कहाँ ले जाएगी ये ज़िंदगी अपनी Share on: