तिरे ख़याल तिरी आरज़ू से दूर रहे नवाब हो के भी हम लखनऊ से दूर रहे बदन के ज़ख़्म तो चारागरों ने सी डाले मगर ये रूह के छाले रफ़ू से दूर रहे ज़मीं पे टपका तो ये इंक़लाब लाएगा उसे बता दो, वो मेरे लहू से दूर रहे किया है हम ने तयम्मुम भी ख़ाक-ए-मक़्तल पर नमाज़-ए-इश्क़ पढ़ी और वुज़ू से दूर रहे मिरी ज़बान का चर्चा था आसमानों पर ज़मीन वाले मिरी गुफ़्तुगू से दूर रहे