तिश्नगी मेरी बुझाओ तो क़रार आ जाए दिल के उजड़े हुए गुलशन में बहार आ जाए बारहा तू ने मुझे झूटी तसल्ली दे दी तुझ को सीने से लगा लूँ तो क़रार आ जाए मैं अज़ल से तिरे दीदार का तालिब हूँ सनम जाम उल्फ़त का पिला दे कि ख़ुमार आ जाए धुँदली धुँदली सी नज़र आती है तस्वीर उस की सामने काश मिरे अब मिरा यार आ जाए तू ने 'रम्मन' को सदा दूर से देखा है सनम रुख़ से तू पर्दा हटा दे तो बहार आ जाए