तुझे मैं ने कभी देखा नहीं था तू हर शय में है ये सोचा नहीं था जहाँ में ढूँढता फिरता रहा मैं तू मेरे दिल में था समझा नहीं था जब आया होश मुझ को या-इलाही नज़र के सामने जल्वा नहीं था तसव्वुर में तुझे देखा था मैं ने हक़ीक़त है कोई सपना नहीं था अजब सी बे-ख़ुदी 'रम्मन' पे छाई तिरा जल्वा अभी देखा नहीं था