तितलियाँ जुगनू सभी होंगे मगर देखेगा कौन हम सजा भी लें अगर दीवार-ओ-दर देखेगा कौन अब तो हम हैं जागने वाले तिरी ख़ातिर यहाँ हम न होंगे तो तिरे शाम ओ सहर देखेगा कौन जिस की ख़ातिर हम-सुख़न सच्चाई के रस्ते चले जब वही उस को न देखे तो हुनर देखेगा कौन सब ने अपनी अपनी आँखों पर नक़ाबें डाल लीं जो लिखा है शहर की दीवार पर देखेगा कौन बे-सितारा ज़िंदगी के घर में अब भी रात को इक किरन तेरे ख़यालों की मगर देखेगा कौन