तो ठीक है चला लेंगे दुआ-सलाम से काम हम ऐसे रखते हैं वैसे भी अपने काम से काम महाज़-ए-इश्क़ पे मिलती है साबिरीन को फ़त्ह यहाँ पे चलता नहीं जोश-ए-इंतिक़ाम से काम इन आते-जाते होऊँ से भला हम ऐसों को क्या कि हम दिवानों को मय से ग़रज़ है जाम से काम हमारा नाम जिन्हें एक आँख भाता नहीं वो भी निकाल रहे हैं हमारे नाम से काम रह-ए-हयात में चलते हैं फूँक फूँक के हम सो हम को क्या भला तुझ से सुबुक-ख़िराम से काम