तू अपने फूल से होंटों को राएगाँ मत कर अगर वफ़ा का इरादा नहीं तो हाँ मत कर तू मेरी शाम की पलकों से रौशनी मत छीन जहाँ चराग़ जलाए वहाँ धुआँ मत कर फिर इस के बा'द तो आँखों को संग होना है मिली है फ़ुर्सत-ए-गिर्या तो राएगाँ मत कर छलक रहा है तिरे दिल का दर्द चेहरे से छुपा छुपा के मोहब्बत को दास्ताँ मत कर तू जाते जाते न दे मुझ को ज़िंदगी की दुआ मैं जी सकूँगा तिरे बा'द ये गुमाँ मत कर