तू कभी जब न पास होता है मेरा दिल क्यों उदास होता है तुझ से शिकवे तो हैं बहुत लेकिन तेरी उल्फ़त का पास होता है बुत-परस्ती ख़ुदा-शनासी है सुन के नासेह उदास होता है फ़िक्र-ए-मल्बूस कब रहेगी भला फ़न अगर बे लिबास होता है मेरे हमदम 'शगुफ़्ता' तेरी है क्यों गिरफ़्तार-ए-यास होता है