तू ने ऐसा भी क्या किया मुझ पर बे-असर हो गई दवा मुझ पर मैं हूँ केसू का ज़र्द फूल मियाँ रंग जचता नहीं हरा मुझ पर रोना लाज़िम नहीं मिरे हम-दम मुस्कुरा क़हक़हा लगा मुझ पर ख़ाक में उड़ गया मिरा ख़ाका इस तरह आसमाँ गिरा मुझ पर तुम घड़ी-भर को रुक नहीं जाते रहम करते नहीं ज़रा मुझ पर मुझ को जड़ से उखाड़ने वाले पंछी करते थे आसरा मुझ पर मेरी मिट्टी भी 'फ़ैज़' सोना है मेहरबाँ हो अगर ख़ुदा मुझ पर