तुझ से जब से हुआ है प्यार मुझे न सुकूँ है न है क़रार मुझे सब ये कहते हैं तू न आएगा है तिरा अब भी इंतिज़ार मुझे मुझ को अपना अगर समझता है नाम ले कर कभी पुकार मुझे तू कभी जान से भी प्यारा था अब नहीं तुझ पे ए'तिबार मुझे मैं न आउँगा तेरे धोके में यूँ न शीशे में तू उतार मुझे जिस को पाला था नाज़ से 'अहमद' वो समझने लगा है बार मुझे