तुम धूप से न धूप की यलग़ार से बचो दीवार गिरने वाली है दीवार से बचो रख दे न काट कर कहीं सारे वजूद को ख़ुद-साख़्ता अनाओं की तलवार से बचो वो दिल का टूटना तो कोई वाक़िआ न था अब टूटे दिल की किर्चियों की धार से बचो ऐसा न हो कि बोझ से सर ही न उठ सके तुम भीक में मिली हुई दस्तार से बचो