तुम हमें काश मिल गए होते फूल ख़ुशियों के खिल गए होते बात दिल की ज़बान कह देती होंट गर यूँ न सिल गए होते तुम अगर बे-हिजाब हो जाते जाने कितनों के दिल गए होते हाथ दिल पर मिरे जो रख देते ज़ख़्म सीने के सिल गए होते लोग कहते हैं आज महफ़िल में काश 'नासिर' भी मिल गए होते