तुम इश्क़ करो मत करो इल्ज़ाम तो देंगे बे-नाम से रिश्ते को कोई नाम तो देंगे फिर से इन्हीं मय-ख़्वारों के बीच आया हूँ वापस दो बात सुनाएँगे पर इक जाम तो देंगे किस शख़्स को कब याद किया गिन के बताओ रहते हो मिरे दिल में कोई काम तो देंगे फल-फूल न दे पाएँ भले अपने दरख़्त आज हम दश्त-नवर्दों को कुछ आराम तो देंगे