तुम से देखे न गए हम से दिखाए न गए हाए वो ज़ख़्म जो इस दिल से छुपाए न गए कर लिया यूँ तो हर इक रंज गवारा लेकिन आज तक दिल से तिरी याद के साए न गए हम ने चाहा भी नहीं हम ने भुलाया भी नहीं दिल ने चाहा भी मगर दिल से भुलाए न गए राह पर राह निकलती गई कूचे से तिरे वर्ना इस राह पे हम आप से आए न गए नक़्श-ए-पा बन के जहाँ मिट भी गया नक़्श-ए-उम्मीद हम उसी राह पे बैठे हैं उठाए न गए