तुम्हारा अक्स अगर मुझ से दूर निकलेगा तो मेरी आँख से दरिया ज़रूर निकलेगा बस इस लिए ही तो वो राज़ मैं ने राज़ रखा मुझे ख़बर है कि तेरा क़ुसूर निकलेगा चला के सीने पे ख़ंजर ये देख लो तुम ख़ुद दुखों से क़ल्ब मेरा चूर-चूर निकलेगा कोई तो आएगा हमदर्द सुन के मेरी सदा कोई तो अपने मकाँ से ज़रूर निकलेगा शजर लगा के 'मलिक' नीम का वो कहते हैं लगा लो शर्त कि इस पर खजूर निकलेगा