तुम्हारी याद से इतना तो फ़ाएदा होगा हमारा ज़ख़्म-ए-जिगर और भी हरा होगा हमारे और तुम्हारे ही दरमियाँ इक दिन किसे ख़बर थी कि सदियों का फ़ासला होगा अँधेरी रात में गर रौशनी नज़र आए ये जान लो कि हमारा ही दिल जला होगा हर एक चेहरा है फ़िलहाल जाना पहचाना हर एक चेहरा मगर कल नया नया होगा बहुत से ख़्वाबों में इक ये भी ख़्वाब है अपना हमारा जीने का अंदाज़ ही जुदा होगा अज़ीज़ो आज की सोहबत को आख़िरी समझो तुम्हारे साथ न कल बज़्म में 'ज़िया' होगा