तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है कहाँ है किस तरह की है किधर है लब-ए-शीरीं छुपे नहिं रंग-ए-पाँ सीं निहाँ मिन्क़ार-ए-तूती में शकर है क्या है बे-ख़बर दोनों जहाँ सीं मोहब्बत के नशे में क्या असर है तिरा मुख देख आईना हुआ है तहय्युर दिल कूँ मेरे इस क़दर है तख़ल्लुस 'आबरू' बर जा है मेरा हमेशा अश्क-ए-ग़म सीं चश्म तर है