तुम्हारी जब सीं आई हैं सजन दुखने को लाल अँखियाँ हुई हैं तब सीं दूनी ख़ुशनुमा साहब-ए-जमाल अँखियाँ क़यामत आन है इस वक़्त में उन पर नज़ाकत की देखो आई हैं दिखने किस झमक सीं ये छिनाल अँखियाँ ऐसे क्यूँ टूट आईं जोश सीं प्यारे हरारत के लगी थी गर्म हो कर इस क़दर ये किस के नाल अँखियाँ इलाज उन का है प्यारे आशिक़ों के संग की हल्दी रंगें इस में कहो कपड़ा करें अपना रुमाल अँखियाँ मिरा दिल पोटली की तरह उन पर ले के टुक फेरो मुजर्रब टोटका है इस में आ जाँगी बहाल अँखियाँ ज़रर है तुंद हो कर देखना बीमार कूँ प्यारे टुक इक परहेज़ कर आशिक़ पे दो दिन मत निकाल अँखियाँ मिरा दुखता है जी ये अनमनाहट देख कर उन का उबलता है बहुत जब देखता हूँ मैं मलाल अँखियाँ नज़र बदता हूँ अपनी जान-ओ-जी को मैं करूँ सदक़े अगर देवें मुझे अपनी शिफ़ा होने की फ़ाल अँखियाँ सज़ा है उन के तईं ये दर्द थोड़ा सा कि करती थीं हमेशा चश्म-पोशी 'आबरू' का देख हाल अँखियाँ