उस ज़ुल्फ़-ए-जाँ कूँ सनम की बला कहो अफ़ई कहो सियाह कहो अज़दहा कहो क़ातिल निगह कूँ पूछते क्या हो कि क्या कहो ख़ंजर कहो कटार कहो नीमचा कहो टुक वास्ते ख़ुदा के मिरा इज्ज़ जा कहो बेकस कहो ग़रीब कहो ख़ाक-ए-पा कहो आशिक़ का दर्द-ए-हाल छुपाना नहीं दुरुस्त परघट कहो पुकार कहो बरमला कहो इस तेग़ज़न नीं दिल कूँ दिया है मिरे ख़िताब बिस्मिल कहो शहीद कहो जाँ-फ़िदा कहो शाह-ए-नजफ़ के नाम कूँ लूँ 'आबरू' सीं सीख हादी कहो इमाम कहो रहनुमा कहो