उड़ी उड़ी चेहरे की रंगत आँखों में हैरानी है हर्फ़ हर्फ़ इन उनवानों में दिल की राम-कहानी है छम-छम बरसे बहता जाए ये भी बताओ ऐसा क्यों आँखों से जो छलक रहा है तुम कहते हो पानी है सोच वही संकोच में गुम-सुम आस वही मौहूम उफ़ुक़ अनहोनी के रंग उगलती ये किस की मन-मानी है भीड़ भँवर है पहचानों का दुनिया के इस रेले में हर चेहरा है उखड़ा उखड़ा हर सूरत अनजानी है हुस्न के पैकर ढले हुए हैं 'राही' किस पैराए में देखो तो तहज़ीब की चादर सोचो तो उर्यानी है