वो धूप-छाँव में होगा हवाओं में होगा वो कोई जिस्म नहीं है ख़लाओं में होगा वो फूल फूल की ख़ुशबू वो डाल डाल का लोच बहार-ओ-कैफ़ की चंचल रिदाओं में होगा नुचा तो टूट के बरसेगा वादी वादी में वो बूंदियों का फरेरा घटाओं में होगा फ़राज़-ए-नूर से उतरा जो वादियों की तरफ़ कहीं नशेब की अंधी गुफाओं में होगा