उफ़ ये बर्फ़ानी हवा तेरे बग़ैर क्या पियूँ ओ बे-वफ़ा तेरे बग़ैर पाँव में डाली हुई ज़ंजीर है ज़िंदगी का सिलसिला तेरे बग़ैर है ग़ुलामों के दिलों की बे-हिसी ये हवा और ये फ़ज़ा तेरे बग़ैर दश्त-ए-तीरा की ख़मोश उफ़्ताद है ज़िंदगी का मुद्दआ' तेरे बग़ैर ज़िंदगी और फिर हमारी ज़िंदगी है गुनाहों की सज़ा तेरे बग़ैर ज़िंदगी और ज़िंदगी की धूप छाँव ता-ब-के और ता-कुजा तेरे बग़ैर दीदा-ए-बेनूर है मेरे लिए आरज़ूओं की बक़ा तेरे बग़ैर ज़ाहिदों के दिल की है बे-माएगी महफ़िल-ए-अर्ज़-ओ-समा तेरे बग़ैर क्यों सँभाला ले लिया बीमार ने हाए ये क्या हो गया तेरे बग़ैर ये तअज्जुब है कि ज़िंदा है अभी 'बिस्मिल'-ए-दर्द-आश्ना तेरे बग़ैर