उफ़ुक़ पर नए रंग डाले गए लो हम ढूँड कर फिर निकाले गए तिरा फूल कोई न आया मगर बहुत हम पे पत्थर उछाले गए वो तूफ़ान में तेरी नन्ही सी याद ख़ुदा की क़सम हम बचा ले गए बड़े शौक़ से तेरे ख़्वाब आए थे मिरे दर्द का सिलसिला ले गए घटा धूप मौसम हवा चाँदनी खिलौनों पे ता-उम्र टाले गए जहाँ अपनी थोड़ी सी पहचान थी उसी शहर से हम निकाले गए सज़ा देने आए थे 'शाहिद' मगर अजीब आदमी थे दुआ ले गए