उखड़े उखड़े से रहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है कुछ कहना हो कुछ कहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है पहले तो तुम सब से यारा हँस कर मिलते-जुलते थे अब हर दम गुम-सुम रहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है होंटों पर तो जाने कब से मौन मरुस्थल पसरा है आँखों से बहते रहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है जिस के जो जी में आता है वो तुम से कह जाता है ख़ामोशी से सब सहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है अच्छी ख़ासी बज़्म सजी है कोई अच्छी बात कहो इतने गुम-सुम क्यूँ रहते हो घर में सब कुछ ठीक तो है