उम्र भर साथ साथ आता है वो जो उजलत में छूट जाता है रूह की बात करने वाले तू जिस्म किस के लिए बचाता है एक तो तैरना नहीं आता और फिर कश्तियाँ चलाता है बा'द मुद्दत के मिल रहा है वो देखिए बात क्या बनाता है जाने क्या हादिसा हुआ था कि दिल चराग़ों से ख़ौफ़ खाता है मेरा अंदाज़ और कुछ है और आईना और कुछ दिखाता है वो कभी याद तो नहीं करता हाँ मगर याद ख़ूब आता है तुम को किस ने कहा पिलाने को हुस्न तो तिश्नगी बढ़ाता है जाने क्या फूँकने की ज़िद है उसे रात भर तीलियाँ जलाता है