उन के अदना ग़ुलाम हो कर भी हम रहे ख़ास आम हो कर भी बेवफ़ाई न की समुंदर से मौज ने बे-लगाम हो कर भी दिल की दुनिया न कर सके रौशन आप माह-ए-तमाम हो कर भी कैसे रावन का काम कर बैठे नाम के आप राम हो कर भी हम नहीं तेरे प्यार के लाएक़ क़ाबिल-ए-एहतिराम हो कर भी प्यार करने की भूल कर बैठा शख़्स वो नेक नाम हो कर भी प्यासी प्यासी ही रह गई 'बादल' ज़िंदगी नज़्र-ए-जाम हो कर भी