उन की गली में बरसों रिहाइश के बावजूद हासिल न कर सका उन्हें कोशिश के बावजूद आँखों से आश्कारा नहीं होने दी तपिश दिल में दहकती हिज्र की आतिश के बावजूद तेरा हूँ मैं तो तेरे करम से तिरा हूँ मैं शैतान और नफ़्स की साज़िश के बावजूद शायद उठें वो सुन के सराफ़ील की सदा जो नींद में हैं चार-सू शोरिश के बावजूद वो ज़ह्र दे रहा था मैं समझा शराब है इक मुग़बचे के हाथ की लर्ज़िश के बावजूद हैरत है उन पे तुझ को नहीं मानते जो लोग शम्स-ओ-क़मर में तेरी नुमाइश के बावजूद ख़्वाहिश के वो बग़ैर मिलेगा ब-रोज़-ए-हश्र दुनिया में जो न मिल सका ख़्वाहिश के बावजूद 'गीलानी' कोई ऐसा न होगा जो हश्र में बख़्शा न जाए उन की सिफ़ारिश के बावजूद