उन से मिलने का संजोग By Ghazal << सहरा सहरा घूम रहे हैं क्य... हाल-ए-दिल जिन से कहने की ... >> उन से मिलने का संजोग बन गया जीवन-भर का रोग इक पल के सहवास ने ही जीवन-भर का दिया बिजोग अपने घर में रह कर भी परदेसी से हैं हम लोग हम क्यों दें क़िस्मत को दोष दुख-सुख हैं करमों के भोग हम न रहे जब 'साग़र' तो याद करेंगे हम को लोग Share on: