उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है और गाने की 'आदत भी निकलती हैं दु'आएँ उन के मुँह से ठुमरियाँ हो कर त'अल्लुक़ 'आशिक़-ओ-मा'शूक़ का तो लुत्फ़ रखता था मज़े अब वो कहाँ पाती रही बीबी मियाँ हो कर न थी मुतलक़ तवक़्क़ो' बिल बना कर पेश कर दोगे मिरी जाँ लुट गया मैं तो तुम्हारा मेहमाँ हो कर हक़ीक़त में मैं बुलबुल हूँ मगर चारे की ख़्वाहिश में बना हूँ मेम्बर-ए-कौंसिल यहाँ मिठ्ठू मियाँ हो कर निकाला करती हैं घर से ये कह कर तू तो मजनूँ है सता रक्खा है मुझ को सास ने लैला की माँ हो कर रक़ीब-ए-सिफ़्ला-ख़ू ठहरे न मेरी आह के आगे भगाया मच्छरों को उन के कमरों से धुआँ हो कर