उन की नज़रों का वो पैवस्त-ए-रग-ए-जाँ होना दिल जिगर दोनों का शर्मिंदा-ए-एहसाँ होना ख़ाना-बरबादी ने क्या क्या न दिखाए तेवर आ गया काम मिरे दिल का बयाबाँ होना होंगे अपने भी पराए भी मिरी लाश के साथ कुछ कहे कोई मगर तुम न पशेमाँ होना 'हामिद' हम भी थे कभी बज़्म-ए-हुनर-मंदों में याद आता है मुझे मेरा ग़ज़ल-ख़्वाँ होना