उस हसीं के ख़याल में रहना आलम-ए-बे-मिसाल में रहना कब तलक रूह के परिंदे का एक मिट्टी के जाल में रहना अब यही नग़्मगी की नुदरत है सुर में रहना न ताल में रहना बे-असर कर गया है वाइज़ को हर घड़ी क़ील-ओ-क़ाल में रहना 'अनवर' उस ने न मैं ने छोड़ा है अपने अपने ख़याल में रहना