या सजन तर्क-ए-मुलाक़ात करो या मिलो दो में से इक बात करो सब बुताँ रश्क सीं हो जाँ माल नाज़ का अस्प अगर लात करो पाँव पड़ने कूँ सआदत समझो यार के दिल कूँ अगर हात करो जंग का वक़्त नहीं ये प्यारे घर में आए हैं मुदारात करो जिन को मज़मून का दावा है उन्हें 'आबरू' सीं कहो दो हात करो