उस की जानिब यूँ मोड़ दी आँखें By आँख, Ghazal << अपने को तलाश कर रहा हूँ कुछ इस अदा से मोहब्बत-शना... >> उस की जानिब यूँ मोड़ दी आँखें उस के चेहरे पे छोड़ दी आँखें फिर तिरे ख़्वाब देखने के लिए हम ने बिस्तर पे छोड़ दी आँखें वो जो आए तो जाग जाती हैं उस की आहट से जोड़ दी आँखें अब के बिल्कुल भुला दिया उस को अब के बिल्कुल निचोड़ दी आँखें Share on: