उस से भी ऐसी ख़ता हो ये ज़रूरी तो नहीं वो भी मजबूर-ए-वफ़ा हो ये ज़रूरी तो नहीं लोग चेहरे पे कई चेहरे चढ़ा लेते हैं वो भी खुल कर ही मिला हो ये ज़रूरी तो नहीं अब के जब उस से मिलो हाथ दबा कर देखो अब भी वो तुम से ख़फ़ा हो ये ज़रूरी तो नहीं जुस्तुजू किस की है ये दश्त-ए-फ़ना के इस पार वो कोई और रहा हो ये ज़रूरी तो नहीं दार पे खींचे गए कितने ज़माने में 'शकील' हर कोई ईसा रहा हो ये ज़रूरी तो नहीं