उस सितमगर ने ये तुर्फ़ा सितम ईजाद किया एक को शाद क्या एक को नाशाद किया तुम से शिकवा है न ग़ैरों से गिला है कोई वहशत-ए-दिल ने मुझे इश्क़ में बर्बाद किया ज़िंदगी में तो किसी से न मिली दाद-ए-वफ़ा बा'द मेरे मुझे दुनिया ने बहुत याद किया बस इसी बात पे अब तक वो ख़फ़ा हैं मुझ से इतना पूछा था कि किस ने सितम ईजाद किया जान पर खेल के दुनिया को सँवारा है 'रियाज़' हम ने वीराना-ए-आलम यूँही आबाद किया